
गुजरात के सारंगपुर में श्री हनुमानजी का एक ऐसा ऐतिहासिक मंदिर है जिसके बारे में मान्यता है कि यहां हनुमान जी के दर्शन करने मात्र से ही किसी भी मनुष्य को भूत, प्रेत, ब्रह्मराक्षस आदि जैसी बाधाओं से तुरंत मुक्ति मिल जाती है। प्रचलीत लोक कथाओं में भी उल्लेख मिलता है कि दादा देव यानी कि श्री हनुमान जी यहां मात्र स्थानीय लोगों के लिए ही नहीं बल्कि संपूर्ण मानव जाति के लिए कष्टभंजन के रूप में विराजमान हैं।
स्थानीय लोग उदाहरण के तौर पर यहां इस ‘‘कष्टभंजन हनुमान’’ मंदिर (Kashtbhanjan Hanuman Sarangpur) के गर्भगृह में विराजित हनुमान जी की प्रतिमा के रूप को लेकर दावा करते हैं कि उनका यह रूप यह बताने के लिए काफी है कि हमारे लिए दादा देव जी का महत्व क्या है। स्थानीय लोग कष्टभंजन हनुमान जी को दादा देव जी के नाम से भी बुलाते हैं।
दरअसल यहां विराजित भगवान ‘‘कष्टभंजन हनुमान’’ (Kashtbhanjan Hanuman Sarangpur) जी की प्रतिमा के पैरों के नीचे शनिदेव को स्त्री रूप में दर्शाया गया है। इस संबंध में यहां एक बहुत ही प्रचलित कथा है और यही कथा इस प्रतिमा के कष्टभंजन के रूप को दर्शाती है।
भगवान हनुमान जी के ‘‘कष्टभंजन हनुमान’’ के रूप को दर्शाती एक प्रचलित कथा के अनुसार प्राचीन समय में शनिदेव का प्रकोप काफी बढ़ गया था। जिसके कारण यहां के सभी लोगों को तरह-तरह की परेशानियों और दुखों का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में यहां के उस समय के स्थानीय निवासियों ने भगवान हनुमान जी से प्रार्थना करी कि वे उन्हें इस संकट से मुक्ति दें।
भक्तों को कष्ट में देख कर हनुमान जी ने उनकी विनती को स्वीकार किया और उन्हें शनि के प्रकोप से बचाने के लिए इसी स्थान पर अवतरित हुए थे। कहा जाता है कि इसके बाद हनुमानजी शनिदेव पर क्रोधित हो गए और उन्हें दंड देने का निश्चय कर लिया। शनिदेव को जब इस बात का पता चला तो वे बहुत डर गए और हनुमानजी के क्रोध से बचने के लिए उपाय सोचने लगे।
शनिदेव जानते थे कि हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं इसलिए वे किसी भी स्त्री पर वार नहीं करते, इसलिए, शनिदेव ने उनके क्रोध से बचने के लिए स्त्री रूप धारण कर लिया और उनके चरणों में गिरकर क्षमा मांगने लगे, और एक आश्वासन के बाद हनुमानजी ने शनिदेव को क्षमा भी कर दिया।
उसी प्रचलित कथा के अनुसार यहां मंदिर के गर्भगृह में विराजित भगवान ‘‘कष्टभंजन हनुमान’’ (Kashtbhanjan Hanuman Sarangpur) जी की प्रतिमा को कष्टभंजन के रूप में दर्शाया गया है जिसके आधार पर शनिदेव को हनुमानजी के चरणों में स्त्री रूप में पूजा जाता है। और यही कारण है कि यहां हनुमान जी द्वारा भक्तों के कष्टों का निवारण करने की वजह से ही उन्हें ‘‘कष्टभंजन हनुमान’’ के नाम से जाना जाता है।
मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि अगर किसी मनुष्य की कुंडली में शनि दोष होता है तो यहां आकर ‘‘कष्टभंजन हनुमान’’ जी के दर्शन और पूजा-अर्चना करने से वे दोष भी समाप्त हो जाते हैं। और यही कारण है कि वर्ष के बारहों मास इस मंदिर में दर्शन करने और अपनी कुंडली से शनि दोष को दूर करने के लिए आने वाले भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं।
शनिवार को यहां कष्टभंजन हनुमान जी के साथ शनि देव का भी आशीर्वाद मिल जाता है इसलिए विशेष रूप से शनिवार को यहां भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई देखी जातीं हैं। कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर के प्रति लोगों की श्रद्धा अटूट है, तभी तो यहां दर्शन करने आने वाले भक्तों की संख्या प्रतिदिन हजारों में होती है। लेकिन, मंगलवार और शनिवार के दिन यह संख्या चार से पांच गुणा तक बढ़ जाती है।
गुजरात के सारंगपुर में स्थित कष्टभंजन हनुमान जी के इस प्राचीन मंदिर के गर्भगृह में हनुमान जी सोने के सिंहासन पर विराजमान हैं इसलिए उन्हें यहां महाराजाधिराज के नाम से भी पुकारा जाता है। हनुमानजी की प्रतिमा भी आकर्षक और विभिन्न रंगों के समावेश से सज्जित है। इसमें हनुमान जी के चारों ओर उनकी वानर सेना को दर्शाया गया है।
कष्टभंजन हनुमान जी को चढ़ाई जाने वाली सामग्री और प्रसाद की बात करें तो यहां नारियल, पुष्प और कई प्रकार की मिठाईयों का प्रसाद भेंट किया जाता है। नारियल चढ़ाकर अपनी मनोकामना को हनुमान जी के सामने रखने वाले भक्तों की संख्या सबसे अधिक देखी जाती है। इसके अलावा यहां शनि दशा से तो मुक्ति मिलती ही है, साथ ही साथ ‘संकट मोचन रक्षा कवच’ भी मिल जाता है।
यही कारण है कि श्री कष्टभंजन हनुमान जी की प्रसिद्धि सिर्फ गुजरात में ही नहीं बल्कि पूरे देश और दुनिया में फैली हुई है। इसी कारण से देश विदेश से आने वाले तमाम सनातनी भक्त एक बार कष्टभंजन हनुमान जी के दर्शन करने भी जरूर जाना चाहते हैं।
गुजरात के सारंगपुर में स्थित कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर का परिसर और यह मंदिर एक दम स्वच्छ, सुसज्जित और एक खुले मैदान के आकार का दिखाई देता है। यह मंदिर भव्यता के साथ उत्तम नक्काशीदार और आकर्षक है।
‘‘कष्टभंजन हनुमान’’ जी के इस प्रमुख मंदिर के साथ ही में भगवान श्री स्वामी नारायण जी का भी बेहद सुन्दर और आकर्षक मंदिर भी मौजूद है जिसमें उनकी स्मृतियों को दर्शाया गया है। करीब 170 वर्ष पुराने इस मन्दिर की विशेषता यह है कि इसकी स्थापना भगवान श्री स्वामी नारायण के अनुयायी परम पूज्य श्री गोपालानन्द स्वामी जी के द्वारा हुई थी। यह मंदिर लकड़ी की आकर्षक एवं परंपरागत नक्काशी से सज्जित है। मंदिर परिसर क्षेत्र का स्वच्छ वातावरण एवं निर्मल हवा श्रद्धालुओं को एक सकारात्मक ऊर्जा का एहसास दिलाता है।
सारंगपुर की अधिकतर आबादी स्वामी नारायण संप्रदाय से जुड़ी हुई है, लेकिन यहां का सबसे बड़ा आकर्षण तो हनुमान जी का यह मंदिर ही है, और ये दोनों ही मंदिर एक ही प्रांगण में बने हुए हैं।
भले ही सारंगपुर शहर मात्र तीन हजार के लगभग की आबादी वाला एक छोटा सा कस्बा है लेकिन इस मंदिर के कारण यह एक आधुनिक शहर के समान लगने लगता है।
कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर के आसपास के कुछ अन्य प्रसिद्ध दर्शनीय और पर्यटन स्थलों में शिव शक्ति मंदिर, श्री जगन्नाथ मंदिर, इस्काॅन मंदिर, सरिता उद्यान एवं हिरन का उद्यान शामिल हैं।
कष्टभंजन हनुमान मन्दिर के पास में ही में एक गौशाला भी है जिसमें प्राचीन और उत्तम नस्ल की भारतीय गायों के दर्शन और उनकी सेवा भी की जाती है और उनसे प्राप्त होने वाले गौ दूध के इस्तेमाल से ही मंदिर में प्रसाद और भोजन सामग्री तैयार किया जाता है।
भोजन और विश्राम व्यवस्था –
कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर की देखभाल और व्यवस्था, पूजा-पाठ आदि मंदिर ट्रस्ट की देखरेख में होता है। दर्शनार्थियों के लिए मंदिर परिसर के अंदर ही एक भोजनशाला भी स्थित है जिसमें यहां आने वाले सभी भक्तों के लिए दिन-रात निःशुल्क भोजन व्यवस्था उपलब्ध है। इसके अलावा दूर-दूर से आने वाले भक्तों के लिए यहां रात्रि विश्राम की व्यवस्था के लिए मंदिर प्रबंधन ने विशाल और भव्य धर्मशालाएं भी बनाई हैं जो आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित हैं।
मंदिर तक कैसे पहुंचे –
कष्टभंज न हनुमान जी का यह मंदिर गुजरात के बोटाद जिले के सारंगपुर कस्बे में स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे पहले गुजरात के भावनगर जाना होता है। भावनगर से सारंगपुर में स्थित कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर की दूरी करीब 90 किमी है। और अगर आप राजकोट से इस मंदिर तक पहुंचना चाहते हैं तो वहां से इस मंदिर की दूरी करीब 120 किमी है। जबकि अहमदाबाद से यह दूरी करीब 165 किमी है। मंदिर तक जाने-आने के लिए बस सेवा और प्राइवेट टेक्सी जैसी सभी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
अगर आप सारंगपुर तक रेल से पहुंचना चाहते हैं तो देश के कई प्रमुख शहरों से भावनगर के लिए रेल गाड़ियां आसानी से मिल जाती हैं। इसके अलावा भावनगर के लिए सभी बड़े शहरों से हवाई सेवाऐं भी उपलब्ध हैं। सड़क मार्ग से कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर तक पहुंचने के लिए प्रदेश और देश के करीब हर प्रमुख शहर से जुड़ा हुआ है।
– ज्योति सोलंकी