
प्राचीन विमानों के साक्षात् उदाहरणों में हमारे पास आज भी जो विमान मौजूद है वह है अफगानिस्तान के पहाड़ों में स्थित एक गुफा में
यह सच है कि पिछले करीब एक दशक से ही हिन्दुओं में प्राचीन भारतीय विमानशास्त्र के बारे में ज्ञान प्राप्त करने की रूचि बढ़ी है। इस विषय पर विस्तारपूर्वक जानकारी विमानशास्त्र से जुड़े किसी प्राचीन ग्रन्थ से ही मिल सकती है, परन्तु ऐसा कोई ग्रन्थ आज संभवतया उपलब्ध नहीं है। और यदि कुछ लोगों को ऐसी ग्रन्थ सामग्री उपलब्ध हो भी जाती है तो वे लोग उसे मन लगाकर पढ़ना भी नहीं चाहते।
आज सारी दुनिया इस बात को स्वीकारती है कि 17 दिसंबर 1903 को राइट ब्रदर्स ने हवाई जहाज बनाकर पहली बार उड़ाया था। भारतीयों ने भी यही स्वीकार कर लिया है, और कहने लगे हैं कि यह विमान विद्या आधुनिक पश्चिम की ही देन है। बावज़ूद इसके कि हम हज़ारों ही नहीं बल्कि लाखों वर्ष पहले लिखी गई रामायण में पुष्पक विमान के बारे में हर दिन पढ़ते और सुनते रहते हैं।
अब यहाँ प्रश्न उठता है कि हमारे पुराणों और वेदों के अनुसार सबसे पहला विमान आविष्कारक कौन रहा होगा? तो इस विषय पर स्वामी दयानन्द जी ने कहा था कि कला और कौशल के महान ज्ञाता विश्वकर्मा नामक एक देव पुरुष हुए जिन्होंने विमान का सबसे पहला आविष्कार किया था।
विश्वकर्मा का उल्लेख अनेकों पौराणिक ग्रंथों में आता है। आम भारतीय उन्हें एक शिल्पकार के तौर पर जानते हैं। उन्हीं विश्वकर्मा ने सर्वप्रथम विमान का निर्माण किया और उसमें बैठकर इधर-उधर भ्रमण करने लगे। उन्होंने वेदों के ज्ञान के आधार पर सर्वप्रथम विमान का आविष्कार किया था जो कि आज से करोड़ों वर्ष पूर्व की बात है।

हमने रामायण के पुष्पक विमान के बारे में तो सबसे अधिक पढ़ा और सूना है, लेकिन महाभारत में विमान विद्या के ऐसे कई साक्ष्यों का उल्लेख मिलता है जिनका उपयोग होता रहा है। उनमें से एक द्रौपदी के पिता राजा द्रुपद के पास भी विमान होने के प्रमाण मिलते हैं। इसके अलावा श्रीकृष्ण और अर्जुन जब पाताल लोक में यानी आज के दक्षिण अमेरिका में जाते और आते हैं तो इसके लिए वे विमान में बैठकर यात्रा करते हैं और वापसी में महाराज युधिष्ठिर के यज्ञ को पूर्ण करवाने के लिए उद्दालक ऋषि को भी उसमें बैठा कर लाये थे।
प्राचीन भारत से जुड़े तमाम ग्रंथों में हमें हवाई जहाज के अनेकों उदाहरण देखने को मिलते हैं, जिनमें से प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ “गयाचिंतामणि” में मयूर या मोर के आकार के विमानों का वर्णन है। दूसरी ओर शाल्व राजा के विमान के द्वारा भूमि, आकाश, जल, पर्वत आदि पर आसानी से जाना आना किया जा सकता था।
कितना पुराना है हमारा देश | Ancient History of India
प्राचीन विमानों के साक्षात् उदाहरणों में हमारे पास आज भी जो विमान मौजूद है वह है अफगानिस्तान के पहाड़ों में स्थित एक गुफा में मिला करीब पांच हज़ार साल पुराना एक ऐसा विमान जिसके बारे में अमेरिकी वैज्ञानिकों का कहना है कि यह विमान महाभारतकालीन हो सकता है। वैज्ञानिक उस विमान के पास जाने में आज भी इसलिए असफल हो रहे हैं क्योंकि वह एक अजीब सी ऊर्जा कवच या प्राचीन ‘टाइम वेल’ तकनिकी में फंसा हुआ है, जिसके कारण आजतक सुरक्षित है।
यह वही विमान है जिसका उल्लेख प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में मिलता है। वैज्ञानिकों के अनुसार ‘टाइम वेल’ यानी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक शॉकवेव्स से सुरक्षित इस प्राचीन विमान के पास जाने का प्रयास करने वाला कोई भी व्यक्ति इसके प्रभाव के कारण अचानक गायब यानी अदृश्य हो जाता है।
चलो मान लिया की ये तो अति प्राचीन काल की बात है जब भारत में विमान हुआ करते थे। लेकिन जब हम आधुनिक इतिहास में जाते हैं तो यहाँ हमें करीब 500 ईशा तक भी भारत में हवाई जहाज होने के साक्ष्य मिलते हैं। इस बात के कई साक्ष्य हैं कि सम्राट विक्रमादित्य के समय तक भी विमान हुआ करते थे। विक्रमादित्य के काल में रचे गए कुछ प्रमुख साहित्यों में से “भोजप्रबन्ध” तथा “समरांगणसूत्रधार” भी हैं जिनमें विमानों की तकनीक और रचना का विवरण मिलता है। हालाँकि उसके बाद से धीरे-धीरे इसकी विद्या कम होती चली गई।
इसके बाद शिवकर बापूजी तलपडे इतिहास के सबसे महत्पूर्ण व्यक्तियों में से एक रहे हैं जिनके बारे में बहुत ही कम जानकारी उपलब्ध है। हालांकि शिवकर बापूजी तलपडे के जीवन पर एक फिल्म भी बन चुकी है जिसका नाम है “हवाईजादा”। कहा जाता है कि उन्होंने स्वामी दयानन्द के वेद भाष्य को पढ़कर ही विमान का मॉडल तैयार किया और दुनिया का प्रथम विमान मुंबई के जुहू बीच पर 1895 में उड़ाया था।
हैरानी तो इस बात की होती है कि इतना बड़ा आविष्कार करने वाला कोई व्यक्ति अपने उस आविष्कार को लेकर कोई लेख, पुस्तक या फिर अपनी उस खोज का कोई मॉडल न छोड़कर जाए ऐसा कैसे हो सकता है? ऐसे में यही कहा जा सकता है कि निश्चित रूप से अंग्रेजों ने शिवकर बापूजी तलपडे जी से उस विमान को उन्नत बनाने के लिए आर्थिक मदद देने के बहाने गुप्त रूप से मॉडल ले लिए होंगे। और उसके मात्र आठ वर्षों के बाद ही यानी 17 दिसंबर 1903 को राइट ब्रदर्स ने हवाई जहाज बनाकर पहली बार उड़ाया था। यानी शिवकर बापूजी तलपडे जी के वे दस्तावेज गुप्तरुप से राइट ब्रदर्स को ही दिए गए होंगे।
– अजय सिंह चौहान