
curruption in aam aadmi party in Hindi
दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पूरे देश में दिल्ली माॅडल का ढिंढोरा पीटते फिर रहे हैं और कह रहे हैं कि मुझे तो राजनीति आती नहीं, सिर्फ काम करना जानता हूं। पूरे देश में घूम कर वे यह भी कह रहे हैं कि दिल्ली में लोग प्राइवेट स्कूलों से अपने बच्चों का नाम कटवा कर सरकारी स्कूलों में डलवा रहे हैं, किन्तु यह अलग बात है कि आम आदमी पार्टी के सांसदों, विधायकों, पार्षदों एवं वरिष्ठ नेताओं में शायद ही किसी के घर-परिवार का कोई बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़ता हो। शायद मुहाबरे की भाषा में इसी को कहा जाता है कि ‘नाम बड़े, दर्शन छोटे’ यानी सिर्फ बड़ी-बड़ी बातों से काम बनने वाला नहीं है।
एक तरफ भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार अग्निपथ योजना के द्वारा युवाओं में राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण, राष्ट्रभक्ति, अनुशासन, वफादारी एवं जिम्मेदारी का और अधिक भाव पैदा करना चाहती है तो दूसरी तरफ दिल्ली को शराब नगरी में तब्दील कर केजरीवाल सरकार दिल्ली के युवाओं एवं नागरिकों को बर्बाद करने में लगी है। बात सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है बल्कि पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार ने तो अग्निपथ योजना के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव भी पास कर दिया। इस योजना के विरोध से यह समझा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी देश को किस दिशा में ले जाना चाहती है?
पूरे देश में सबसे बड़े विज्ञापनबाज के रूप में मशहूर केजरीवाल केन्द्र सरकार के कार्यों को भी अपना बताने से नहीं चूकते हैं। अभी हाल ही में केन्द्र सरकार ने दिल्ली की ध्वस्त परिवहन व्यवस्था को जिंदा रखने के लिए 150 इलेक्ट्रिक बसों का तोहफा दिल्ली को दिया तो दिल्ली सरकार ने दिल्ली की जनता को यह बताना भी मुनासिब नहीं समझा कि ये बसें केन्द्र सरकार ने दी है।
भ्रष्टाचार की बात की जाये तो दिल्ली सरकार इस मामले में नये-नये कीर्तिमान स्थापित करती जा रही है। दिल्ली सरकार के मंत्री सतेन्द्र जैन को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है किन्तु ताज्जुब की बात तो यह है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने श्री सतेन्द्र जैन को अपने मंत्रिमंडल से अभी तक हटाया भी नहीं है। आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार को बने अभी तीन महीना हुआ है किन्तु एक मंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है। इस प्रकार और भी कई मामलों में आम आदमी पार्टी एवं उसकी सरकार का घोटाला सामने आ चुका है।
राजधानी दिल्ली को दिल्ली सरकार ने भले ही शराब नगरी के रूप में स्थापित कर दिया हो किन्तु भीषण गर्मी में दिल्ली के तमाम क्षेत्रों में लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। राजधानी में पानी की आवश्यकता आज 1300 एमजीडी के पार पहुंच चुकी है लेकिन दिल्ली में पानी की सप्लाई आज भी 900 एमजीडी पर अटकी पड़ी है। पिछले सात सालों में पानी की सप्लाई बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं हुआ। आठ साल पहले दिल्ली जल बोर्ड 500 करोड़ रुपये के लाभ में था किन्तु केजरीवाल सरकार की गलत नीतियों के कारण आज जल बोर्ड़ 57 हजार करोड़ रुपये के घाटे में है। पहले पानी आपूर्ति के जिन टैंकरों की संख्या 892 थी, वह अब बढ़कर 1204 हो गई है।
दिल्ली परिवहन निगम की बात की जाये तो दिल्ली सरकार ने परिवहन निगम का भट्ठा ही बैठा दिया है। दिल्ली में आठ साल पहले केजरीवाल सरकार जब आई थी तो डीटीसी की करीब 6500 बसें सड़कों पर चल रही थीं। इन बसों की औसम उम्र 8 से 10 वर्ष मानी जाती है। दिल्ली की सड़कों पर आखिरी बस 2010 में आई थी। इस तरह देखा जाये तो डीटीसी की सभी 3760 बसें ओवर एज हो चुकी हैं। जनता की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करके इन बसों को चलाया जा रहा है। पिछले दो महीनों में बसों में आग लगने की 6 घटनाएं हो चुकी हैं। ताज्जुब तो इस बात का है कि डीटीसी ने पिछले 8 वर्षों में एक भी नई बस नहीं खरीदी।
दिल्ली सरकार इस बात का डंका बजाती पूरे देश में फिर रही है कि दिल्ली मुफ्त में बिजली-पानी देने वाला पहला राज्य है किन्तु सच्चाई तो यह है कि दिल्ली में इस समय जो लोग बिजली का भुगतान कर रहे हैं, उन्हें औसत घरेलू बिजली के लिए 8 रुपये प्रति यूनिट और कमर्शियल बिजली के लिए 13 रुपये से 18 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली का भुगतान करना पड़ रहा है जो देश में सबसे अधिक है। दिल्ली के अधिकांश किरायेदारों को भी बिजली का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। अब तो सरकार ने कह दिया है कि मुफ्त बिजली सिर्फ उन्हें ही मिलेगी, जो मांगेंगे यानी लोग अपने आत्म सम्मान को ताक पर रख कर दिल्ली सरकार के सामने झोली फैलाकर कहेंगे कि उन्हें भी मुफ्त बिजली की जरूरत है।
दिल्ली सरकार अपनी स्वास्थ्य सेवाओं का बखान करती थकती नहीं है किन्तु यह बात पूरे देश को पता चल चुकी है कि मोहल्ला क्लीनिकों में गलत दवाई देने के कारण कई बच्चों की मौत हो चुकी है। राजीव गांधी अस्पताल में स्टेंट डालने के दौरान ही 235 मरीजों की मौत हो चुकी है। कोविड की दूसरी लहर के दौरान जीटीबी हास्पिटल में भर्ती कोविड के 40 प्रतिशत मरीजों की मौत हो गई। विदित है कि इस अस्पताल में कुल 3793 मरीज एडमिट हुए थे और उसमें से 1545 मरीजों की मृत्यु हो गई। इस प्रकार देखा जाये तो दिल्ली की वल्र्ड क्लास स्वास्थ्य सेवा की कितनी भयावह तस्वीर है? इसके बावजूद दिल्ली सरकार केन्द्र सरकार की आयुष्मान भारत येाजना को लागू नहीं कर रही है। इतनी नाकामियों के बावजूद दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं को विज्ञापनों में अव्वल बताती है दिल्ली सरकार।
स्वास्थ्य सेवाओं की ही तरह यदि दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था की बात की जाये तो तस्वीर और भी बदरंग नजर आती है। दिल्ली सरकार के कुल 1027 स्कूल हैं, उनमें से 700 स्कूलों में 11वीं एवं 12वीं कक्षाओं में साइंस और काॅमर्स की पढ़ाई नहीं होती। ऐसी स्थिति में दिल्ली के बच्चे कैसे इंजीनियर एवं डाॅक्टर बनेंगे। 745 सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल और 418 स्कूलों में वाइस प्रिंसिपल नहीं हैं। शिक्षकों के 24 हजार 500 पद खाली पड़े हुए हैं। 22 हजार गेस्ट टीचर्स की नौकरी चली गई है और आज तक किसी गेस्ट टीचर को पक्का नहीं किया गया। आम आदमी पार्टी ने 500 नये स्कूल और 20 काॅलेज खोलने का वादा किया था किन्तु काॅलेज तो एक नहीं खोला और नये स्कूल खोलने की बजाय दो दर्जन स्कूल बंद जरूर करा दिये गये। इससे आसानी से समझा जा सकता है कि दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था किस स्थिति में है?
प्रदूषण की समस्या दूर कर पाने में दिल्ली सरकार रंच मात्र भी कामयाब नहीं हो पाई है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि राजधानी में प्रदूषण का कारण गाड़ियां और डस्ट हैं। डस्ट का अर्थ है पीएम 2.5 और पीएम 10 का प्रदूषण। यह डस्ट इसलिए उड़ती है कि दिल्ली की सड़कों की सुध आप सरकार ने नहीं ली। सच्चाई तो यह है कि दिल्ली सरकार सड़कों, फ्लाई ओवरों या अन्य निर्माण कार्यों को तो विकास मानती ही नहीं। मौजूदा टूटी सड़कों की मरम्मत न होने के कारण सड़कों पर इतनी डस्ट पड़ी रहती है कि पीएम 2.5 और पीएम 10 का लेबल हमेशा ज्यादा ही रहता है। अभी तक तो सरकार दिल्ली के प्रदूषण के लिए पंजाब को जिम्मेदार बताती रही है किन्तु आगे देखना यह है कि वह कौन सा बहाना बनाती है?
दिल्ली सरकार ने राजधानी दिल्ली को पेरिस बनाने की बात कही थी किन्तु यमुना नदी एक गंदा नाला बन कर रह गई है। केन्द्र सरकार ने यमुना की सफाई के लिए 2419 करोड़ रुपये दिये हैं, फिर भी यमुना नदी की सफाई के मामले में दिल्ली सरकार फिसड्डी ही साबित हुई है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यमुना की सफाई को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्लीवासियों को सिर्फ झांसा और तारीख पर तारीख देने का काम किया है। कश्मीरी पंडितों की भावनाओं का जिस प्रकार अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में मजाक उड़ाया था, उसे सिर्फ कश्मीरी पंडितों के साथ क्रूर मजाक ही नहीं बल्कि इंसानियत एवं मानवता का भी उपहास कहा जा सकता है।
एक तरफ केन्द्र सरकार देश से आतंकी घटनाओं एवं आतंकी मानसिकता को रोकने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रही है किन्तु आम आदमी पार्टी एवं दिल्ली सरकार राष्ट्रविरोधी रोहिग्याओं एवं बांग्लादेशी घुसपैठियों की मदद के लिए बेचैन रहती है। जहांगीर पुरी में हनुमान जयंती के मौके पर दंगा करवाने के आरोप में जिन लोगों को पकड़ा गया है वे सब आम आदमी पार्टी के नेता एवं कार्यकर्ता हैं। इससे पहले यमुनापार के दंगों में भी आप के निगम पार्षद को गिरफ्तार किया गया था। मस्जिदों के इमामों को 30-30 हजार रुपये प्रति माह वेतन दिया जा रहा है जबकि मंदिरों के पुजारियों एवं गुरुद्वारों के गं्रथियों को कुछ नहीं दिया जा रहा है। तुष्टीकरण का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है?
इस प्रकार देखा जा सकता है कि विकास की रफ्तार में दिल्ली निरंतर पिछड़ती जा रही है या यूं कहा जा सकता है कि राजधानी दिल्ली के लिए विकास की बात तो अब गुजरे जमाने की बात हो गई है। वास्तव में दिल्ली के विकास की बात की जाये ता ेवह सिर्फ जनसंघ एवं भाजपा के शासन काल में ही संभव हो पाया। कांग्रेस ने तो विकास योजनाओं को उलझाने का काम किया और आम आदमी पार्टी का तो विकास से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है।
इस दृष्टि से देखा जाये तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार दिल्ली की जनता का भला करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। दिल्ली के 72 लाख लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत तथा प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना के तहत कोरोना काल से अब तक प्रति माह 8 किलो गेहूं और 2 किलो चावल मुफ्त दिया जा रहा है।
दिल्ली में दुनिया के सबसे बड़े ईको पार्क का निमार्ण, एक दर्जन से ज्यादा बायो डायबरसिटी पार्कों का निर्माण, नेशनल बार मेमोरियल का निर्माण, दिल्ली के चारों तरफ पेरिफेरियल रोड का निर्माण, दिल्ली से मेरठ का सफर 40 मिनट में संभव हुआ, दिल्ली से मुंबई तक नेशनल हाइवे का निर्माण जारी, दिल्ली से सहारनपुर तक नेशनल हाइवे का निर्माण जारी, धौलाकुंआ, बसंत कुंज एवं नरेला फ्लाई ओवरों तथा महिपाल पुर बाई पास के लिए अंडर पास का निर्माण, यमुना के किनारे का सौंदर्यीकरण, अनधिकृत काॅलोनियों के निवासियों को मालिकाना हक, ‘जहां झुग्गी – वहीं मकान’ की योजना, 50 हजार दुकानों को फ्री होल्ड किया।
सस्ती दवाओं की जन औषधि दुकानें शुरू, किसानों के लिए हर चार महीनों में दो-दो हजार रुपये, जन धन योजना के तहत खातों में डेढ़-डेढ़ हजार रुपये जमा करवाये, गरीब महिलाओं को उज्जवला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन और सिलेंडर दिये गये, प्रधानमंत्री गर्भावस्था सहायता योजना के अंतर्गत महिलाओं को 5 हजार रुपये तक की आर्थिक सहायता, रेहड़ी-पटरी वालों को अपने पांवों पर खड़ा होने के लिए 10-10 हजार रुपये दिये गये, सभी के लिए मुफ्त वैक्सीनेशन कराया गया। इसके अतिरिक्त केन्द्र सरकार ने तमाम अन्य कार्य भी दिल्ली के लिए किये हैं किन्तु दिल्ली में इस समय कोई सकारात्मक सरकार होती तो दिल्ली विकास की बुलंदियों पर पूरे देश में पहले स्थान पर होती।
आम आदमी पार्टी नकारेपन की किस हद तक जा सकती है, यह पूरे देश ने तब देखा जब प्रजातांत्रिक तरीके से यदि भाजपा कार्यकर्ताओं ने केजरीवाल एवं दिल्ली सरकार के खिलाफ कोई राय व्यक्त की तो उनके खिलाफ मुकदमा पंजाब में दर्ज हो गया। इससे यह बात आसानी से समझी जा सकती है कि यदि दिल्ली पुलिस दिल्ली सरकार के नियंत्रण में होती तो शायद कोई मुंह भी नहीं खोल पाता।
दिल्ली सरकार की नाकामियों की कहां तक बात की जाये? दिल्ली में राशन कार्ड, ओल्ड एज पेंशन बंद कर दी गई है, कोरोनाकाल में किरायेदारों को किराये का पैसा नहीं दिया गया, नगर निगमों का पैसा दिल्ली सरकार ने नहीं दिया, महिला सुरक्षा सिर्फ कागजों तक सीमित है, झुग्गी बस्तियों में सुविधाएं नहीं हैं, गांवों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। ऐसी स्थिति में दिल्लीवासियों को खुले मन से यह सोचने की जरूरत है कि सिर्फ विज्ञापनबाजी के सहारे दिल्ली एवं दिल्लीवासियों का कोई भला होने वाला नहीं है। दिल्ली में विकास एवं विकास की चर्चा फिर से शुरू हो, इसके लिए सभी को मिल कर कार्य करने की आवश्यकता है। इसके अलावा अन्य कोई विकल्प भी नहीं है।
– सिम्मी जैन