
कहा जाता है कि हिन्दी फिल्म जगत का मशहूर कलाकार सुनील दत्त था तो हिंदू ही, लेकिन उसकी पत्नी नर्गिस वास्तव में एक मुस्लिम थी, इसलिए उसका असली नाम भी फातिमा राशिद था। लेकिन, जब इन दोनों के बीच के अफेयर की खबर अंडरवल्र्ड तक गई तो सुनील दत्त को धमकियां मिलने लगीं। जिसके बाद सुनील दत्त ने नर्गिस से यानी कि फातिमा राशिद के साथ शादी कर ली, और हिंदू धर्म को छोड़कर खुद ही इस्लाम कबूल कर लिया। इसमें मजेदार बात तो ये रही कि उसने अपना वो फिल्मी नाम नहीं बदला और सुनील दत्त ही रहने दिया।
सुनील दत्त ने अपना मुस्लिम नाम क्या रखा था ये अब तक आम लोगों को ठीक से पता ही नहीं चल पाया है। लेकिन, कहा जाता है कि उन्होंने लखनऊ के निवास स्थान के बाहर जो प्लेट लगवाई थी उस पर ‘अख्तर’ लिखा हुआ देखा जाता था।
बाॅलीवुड जगत के तमाम एक्सपर्ट लोगों का मानना है कि वो एक ऐसा दौर था, जब कोई भी मुसलमान एक्टर अपना असली नाम छूपा कर हिंदू नाम इसलिए रख लेता था क्योंकि उसे डर रहता था कि अगर भारतीय दर्शकों को उनके मुसलमान होने का पता लग गया तो न सिर्फ उनकी फिल्मों को हिंदू दर्शकों से वंचित होना पड़ सकता है, बल्कि उन्हें आगे भी किसी फिल्म में काम नहीं मिल पायेगा। ऐसे लोगों में सबसे पहले और सबसे मशहूर नाम तो ‘युसूफ खान’ का आता है जिसे दशकों तक दुनिया दिलीप कुमार समझती रही।
इसी तरह से ‘महजबीन अलीबख्श’ ने भी अपने असली मुस्लिम नाम को छूपा कर रखा और वह भी मीना कुमारी बन गई। उधर ‘मुमताज बेगम देहलवी’ भी अपने असली नाम को पर्दे में रख कर मधुबाला बन बैठी और हिंदू दर्शकों को मूर्ख बनाती रही और उनके दिलों पर राज करते हुए खुश करती रही।

इससे भी मजेदार बात तो ये रही कि ‘बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी’ नाम के जिस व्यक्ति ने आम हिन्दू दर्शकों को जाॅनी वाकर बन कर हंसाया उसे भी असल जिंदगी में जाॅनी वाकर के नाम से ही पहचानते रहे और उसका भी असली नाम आम लोगों के सामने नहीं आने दिया गया।
अब अगर हम कहें कि भारतीय हिंदी फिल्मों में ‘हामिद अली खान’ एक बहुत बड़ा विलेन हुआ करता था तो आज तक भी कोई पहचान नहीं पायेगा। लेकिन, जैसे ही आप उस दौर के मशहूर फिल्मी विलेन अजित का नाम लेंगे तो हर कोई पहचान लेंगे। क्योंकि अजित ने भी हिंदी फिल्मों में काम करते हुए किसी को ये पता नहीं चलने दिया कि उसका असली नाम हामिद अली खान है।
सोचने वाली बात तो ये है कि आज भी हममें से कितने ही लोग ऐसे हैं जो ये नहीं जान पाए कि सन 1970 से 1980-85 के बीच हिंदी फिल्मों में सबसे मशहूर और सबसे अधिक कमाई करने वाली अपने समय की मशहूर अभिनेत्री रीना राय का भी असली नाम ‘सायरा अली खान’ है।
इसी प्रकार से ऐसे न जाने कितने ही अनगिनत लोग और भी थे या आज भी हैं जो उस दौर में भारतीय सिनेमाजगत में अपनी पैठ बना चुके थे और ना सिर्फ नाम और पैसा कमा रहे थे बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ियों का उज्जवल भविष्य भी तय कर रहे थे। साथ ही साथ् वे लोग आज ही की तरह उस वक्त भी अपने उसी एजेंडे को चला रहे थे जिसमें उनके रहते कोई हिंदू कलाकार यहां अपनी पकड़ मजबूत कर के उन्हें टक्कर ना देने लग जाये।
यहां ये बात भी ध्यान देने वाली है कि कुछ फिल्म समीक्षकों और जानकारों सहीत बाॅलीवुड से जुड़े अन्य कई लोगों ने इस बात को माना है कि भारतीय सिनेमाजगत में जिस प्रकार से ‘अंडरवल्र्ड’ राक्षस को पनपने के लिए खुले दिल से कुछ ऐसे मुस्लिम कलाकारों ने मदद पहंुचाई थी जिनका खास तौर से सन 1970 से लेकर सन 1995 तक दबदबा हुआ करता था। वहीं अगर हम आज के दौर की बात करें तो अब तो तमाम ऐसे सबूत भी मिलते रहते हैं कि कौन सा कलाकार ‘अंडरवल्र्ड’ का सगा बन कर बाॅलीवुड में जमा बैठा है और किसकी शामत आने वाली है।


बहरहाल जो भी हो बाॅलीवुड में ये खेल कुछ ज्यादा ही बड़ा और लंबा खेला गया है। और अगर इस खेल की बारीकियों को समझना हो तो मात्र कुछ शब्दों में समझना आसान नहीं है। क्योंकि अगर इसे ध्यान से समझेंगे तो लगेगा कि ये उन लोगों की बरसों की साजिश और एजेंडे का ही परिणाम है कि आज वे लोग सीधे-सीधे अपने मुस्लिम नामों के सहारे बाॅलीवुड पर राज कर रहे हैं। ये उनके एजेंडे का ही नतीजा है कि आज यदि उनके आगे कोई चुनौति बनकर दूसरे समुदाय का कोई आ भी जाता है तो उसे रातों-रात बाॅलीवुड से गायब करवा दिया जाता है। फिर चाहे वह तरीका कोई भी हो।
जहां एक ओर सन 1970 से 1990 तक के बाॅलीवुड के उस दौर में हर मुस्लिम कलाकार का अपना असली नाम छुपाया करते थे, वहीं, अब ये फैशन बन चुका है कि अगर बालिवुड की किसी फिल्म में कोई बड़ा मुस्लिम कलाकार है तो उस फिल्म को हित होने से और खुब पैसा बटोरने से कोई नहीं रोक सकता।
मात्र इतना ही नहीं बल्कि अब तो बाॅलीवुड से जुड़ा कोई भी मुस्लिम व्यकित किसी हिंदू लड़की से शादी कर लेता है तो उसे और भी ज्यादा बड़ा और अच्छा कलाकार माना जाता है। फिर चाहे वो शाहरुख खान हो, आमिर खान हो, सैफ अली खान हो, फरहान अख्तर हो, अरबाज खान हो, सुहैल खान हो, या आमिर खान का भतीजा इमरान हो या फिर संजय खान का बेटा जायद खान हो। यहां हमे ये भी देखना चाहिए कि सलमान खान ने भले ही अब तक शादी नहीं की है, लेकिन उसके साथ बाॅलीवुड की कई मशहूर हिंदू अभिनेत्रियों के नाम जुड़ चुके हैं।
जिस बाॅलीवुड के शुरूआती दौर की फिल्मों में तमाम मुस्लिम कलाकार अपने असली नामों को छूपा कर हिंदू नामों से प्रसिद्ध हुए और पैसा कमाया वहीं, आज के दौर के तमाम मुस्लिम कलाकार नाम को छूपाने की बजाय अपने उसी असली नाम के साथ बाॅलीवुड में काम कर रहे हैं। लेकिन, इसमें उनका वही सदियों पूराना और खास एजेंडा आज भी वही है। बेशक आज के दौर में उनकी इस पीढ़ी ने बजाय अपने असली नाम को छूपा कर हिंदू नाम रखने के फिल्मों की कहानियों और पात्रों के अनुसार अपने नामों को रखना शुरू कर दिया है। जैसे कि सलमान खान ने अपनी फिल्मों में सबसे ज्यादा ‘प्रेम’ के नाम से अपने रोल निभाये हैं।
बाॅलीवुड के आज के दौर में सबसे खास बात देखने को मिलती है कि करीब-करीब हर फिल्म में किसी न किसी मुस्लिम कलाकार को नायक बनाकर उसकी सफलता की गारंटी के रूप में पेश किया जाता है और वे लोग इसमें सफल भी हो जाते हैं, जबकि ऐसी फिल्मों की सफलता के पीछे के जिम्मेदार लोगों में आम हिंदू दर्शक ही सबसे आगे रहते हैं।
फिर चाहे ऐसी फिल्मों की कहानियां कुछ भी हों या कितनी भी देश और विशेष धर्म के विरूद्ध क्यों न हों। इन फिल्मों में खलनायक के तौर पर कोई भी पंडित, पुजारी या किसी गांव के इज्जतदार ठाकुर को पाखंडी, राष्ट्रद्रोही, बलात्कारी और कालाबाजारी से जोड़ कर दिखा दिया जाता है। वहीं अगर इन फिल्मों में किसी मुसलमान पात्र को दिखाना होता है तो उसे एक भला और ईमानदार और हर वक्त नमाज पढ़ता हुआ दिखाया जाता है। जबकि किसी भी मंदिर में बैठे पुजारी या पंडित को पाखंडी और ढोंगी के रूप में सीधे-सीधे पेश कर दिया जाता है। एजेंडे के अनुसार ऐसी फिल्मों के गीतकार और संगीतकार भी मुस्लिम ही चुने जाते हैं ताकि इनमें फिल्माये जाने वाले तमाम गानों में ‘मौला’ और ‘अल्लाह’ जैसे शब्दों को जबरन परोसा जा सके।
दरअसल आजकल की ऐसी तमाम फिल्मों की कहानियां लिखने का काम भी तो वे मुसलमान ही करते हैं जो जावेद अख्तर और सलीम खान जैसे एजेंडापरस्त लोग हैं। इन लोगों की कहानियों में एक राष्ट्रवादी नेता को कहीं न कहीं से देशद्रोही बता दिया जाता है और किसी भी भ्रष्ट पुलिस अफसर के हाथों से उसकी हत्या करवा कर इन फिल्मों के उन हिंदू दर्शकों को इस प्रकारसे डराया जाता है कि अगर असल जिंदगी में तुम भी अगर इमानदार और सच्चे हिंदू बनोगे तो तुम्हारा भी अंजाम यही होगा। जबकि अगर तुम किसी मुसलमान की शरण में जाओगे तो बच जाओगे।
आज हमारे सामने नसीरुद्दीन शाह, सैफ अली खान, शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान, फरहान अख्तर, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, फवाद खान, अर्शद वार्सी, इमरान हाशमी, अरबाज खान, जावेद जाफरी, रजा मुराद, फरदीन खान जैसे तमाम कलाकार हैं जिनमें से यदि हम दो या चार को छोड़ दें तो उन्हें उनकी एक्टिंग को जबरन ही परदे पर दिखाया जाता है। क्योंकि ये उनका एजेंडा है कि किसी भी हिंदू को अपनी फिल्मों में लेने की बजाय वे लोग अपने ही समुदाय के लोगों को प्रात्साहन देते हैं, भले ही वे उस लायक हों या न हों।
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि कल तक उस खास मजहब के जो फिल्मी सितारे बहुत अच्छे कलाकार साबित हुआ करते थे उन्हीं पर ये आरोप है कि उन लोगों ने ही बाॅलीवुड में अंडरवल्र्ड को पनपने के लिए अवसर दिया था। जबकि आज के कुछ खास कलाकारों की बदोलत वह खुब फल-फूल रहा है।
आज आलम ये है कि अगर कोई भी हिंदू प्रोड्यूसर या डायरेक्टर या फिर कोई भी हिंदू कलाकार अपनी फिल्म को शुरू करना चाहता है तो सबसे पहले उसे उसी अंडरवल्र्ड से इजाजत लेनी होती है या फिर उस फिल्म में लगने वाले पैसे का फायनेंस भी वहीं से करवाना होता है और उस फिल्म में किसी मुस्लिम कलाकार को कोई भी बड़ा रोल देना ही होता है। और यदि वे लोग ऐसा नहीं करेंगे तो या तो उनकी फिल्म बन ही नहीं पायेगी या फिर सिनेमाहाॅल में चलेगी ही नहीं। इस प्रकार के तमाम उदाहरण आज देखने को मिलते रहते हैं।
– अजय सिंह चौहान